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आलस …मोटापे के साथ आने वाला बिन बुलाया मेहमान।

मोटापे के साथ आने वाला या दिखाई देने वाला सबसे बडा दुर्गुण हैं “आलस”। या फिर ऐसा भी बोल सकते है की ये ‘अंडे और मुर्गे’ जैसा हैं । किसका नंबर पहले है ये मालुम नही हैं । इस आलस दुर्गुण के बारे में बहुत कम पढने को मिलता है, लेकीन मोटापे कि चिकित्सा मे इस दुर्गुण से हमे सबसे ज्यादा लढना पडता है, या फिर खुदको खुदसे।
तो इसकी शुरुआत कुछ इस तरह होती है। “ चलो आज महफ़िल को, कुछ इस तरह सजाते है, तुम चाय का बंदोबस्त करो, हम समोसा लेकर आते है।”

पिछले दशक के मुकाबले इनदिनों हमारी जिंदगी काफी रफ़्तार भरी हैं लेकिन काम करने का तरीका गतिहीन है। काम का तनाव, देर रात तक चलने वाला काम, परिवार की जिम्मेदारिया और उन्हें समय न दे पाना ये सभी के घरोंमे दिखाई देता है। इनसबको संतुलित रखने का हमने एक नया तरीका ढूंढा है।

 

सप्ताहांत की पार्टियां, हॉटेल के बाहर की भीड, मॉल की भीड, कम समय मे उभरी हुई फ़ूड इंडस्ट्री इसका द्योतक है। लेकिन इसके साथ हम स्वास्थ्य का संतुलन बना नही पाए। यह असंतुलन पाचनक्रिया के बिगड़ने का प्रमुख कारण है। यह बिगड़ी हुई पाचनक्रिया शरीर मे कफ और मेद को बढाता है। इस विकृति से गुरू और मंद गुण बढता है, जिससे आलस उत्पन्न होता है। यह आलस स्थूलता को हटाने मे सबसे ज्यादा रुकावट पैदा करता है।

पहली घटना

एक मधुमेह विशेषज्ञ का क्लिनिक था, जहां बुजुर्ग मरीज बहुत देर से खुदका नंबर आने के बाद डॉक्टर के कन्सल्टिंग रूम मे गये।

” एक महिने मे ३ किलो वजन बढा है, कम कीजिये वरना दवाईयॉं बढती जाएंगी, आगे और भी परेशानियां बढ़ेंगी। आप रोज ४५ मि. वॉकिंग और योगा कीजिये। ” इतना कह कर डॉक्टर ने अगले पेशंट को बुलाया
” डॉक्टर साहब! मैं रोज टहलने निकलता हॅूं, लेकिन एक ‘ज्येष्ठ नागरिक संघ’में गप्पें मारके वापस जाता हॅूं। अनुसासन से कुछ करने का मन ही नहीं होता, इसके लिए मे क्या करु ?” थोड़ी हिमत जुटा कर उन्होंने डॉक्टर से पुछा।
“करना तो पड़ेगा खुदके लिए” यह कहते हुए डॉक्टर ने अगले पेशंट की फाईल लेली. ये एक आलस की छटा है।

कॉलेज के दोस्त पॅंडेमिक के कारण काफी दिनों बाद मिलते है और बारिश में ट्रेक को निकलते है. १ कि.मी की चढाई के बाद २ लोगों की सॉंस फूलने लगती है और २ लोगों के पैरों मे ऐंठन आती है। सभी ट्रेक छोडकर नीचे आते है। पास के हॉटेल मे पेटभर खाना, ड्रिंक्स लेकर स्वास्थ और मोटापा के विषय पर चर्चा करते है। बढा हुवा पेट बहुत समस्याओं का कारण है, ये पता है पर कुछ होता नहीं। यहभी आलस की एक छटा है।
यह कहानीयॉं क्लिनीक मे रोज सुनने को मिलती है। महिला मरीज इनफर्टिलिटी , पीसीओएस, थाइरोइड
की परेशानियों को ले कर आती है। पुरुष मरीज बढा हुआ रक्तचाप , पीठ दर्द, मधुमेह इत्यादि समस्याओं को लेकर आते हैं ।
इन सबका मूल कारण बढा हुवा वजन होता है। दवाईयों के साथ व्यायाम और संतुलित आहार ज्यादा जरुरी होता है, लेकीन आलस इन सबके बीच मे आकर रोगों की कडी तोडने नहीं देता है. विशेषतः महिलाओ मे डिलेवरी के बाद बहुत सारे बदलाव आते है। उनमे व्यायाम के प्रति या संतुलित आहार का पालन करने के प्रति बहुत सारी उदासीनता दिखाई देती है।
यहा पर तूर्या का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
स्थूलता मे शरीर के हिसाब से (पि. पि. ऍम. ऍम.) PPMM चार सूत्र बहुत महत्त्वपूर्ण है। तूर्या ऐप और कोच इस सूत्र के जरिए ही काम करते है।

  1. Proper goals setting, (सही लक्ष्य तय करना )
  2. Proper guidance about diet and exercise ( आहार और व्यायाम का उचित मार्गदर्शन)
  3. Motivation and (प्रोत्साहन )
  4. Monitoring ( स्वास्थ की निगरानी)

ये चार महत्वपूर्ण चीजे है. हर एक व्यक्ति के लिए प्रोत्साहन बहुत महत्वपूर्ण है। वजन कम करते समय पहले पन्द्रह दिन शरीर और मन का प्रतिरोध ज्यादा रहता है। अगर इन १५ दिनो मे आलस की शृंखला को तोडने का काम अच्छी तरीके से हुआ तो बाद में स्वास्थ बन जाती है। हम यह जीवन शैली और खुद मे होने वाले अच्छे बदलाव का आनंद लेना शुरू करते है। इस जीवन शैली को अधिक समय तक आत्मसात करने के लिए आपको एक प्राचीन आयुर्वेदा, आधुनिक संयंत्र और आहार शास्त्र की जोड़ मिलाना आवश्यक है। तूर्या के जरिए इन सभी कारकोका ख्याल रखा जाता है। तूर्या इन चारों कारको पे काम करने वाला सबसे सक्षम पर्याय है। नाडी परीक्षा के जरिए आलस के साथ जुड़ने वाले गुणों का भी परीक्षण तूर्या के साथ होता है। इसीलिये आतंरिक स्वास्थ की निगरानी प्रभावी तरीके से होती है।

पॅंडेमिक मे डालगोना कॉफ़ी से लेकर बहुत सारे भोजन चुनौतियों को हमने पुरे किए है।
चलो, अब आलस और मोटापे को मिटाने की चुनौती लेते है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए पुश अप , घूमना,दौड़ना, ट्रेकिंग जैसे चुनौतिया आत्मसात करते है। “तुर्या” के जरिए आलस और मोटापे को घर बैठे ही दूर करने की कोशिश करे , और बेहतरीन अनुशाषित, उत्साही और स्वास्थ जीवन से पुनः जुड़े ।

Author:
Dr. Gayatri Kulkarni – Mulye (MD Ayurved),
Vaidya Tejaswini Bhale – Borse (Ayurveda Physician),
Shruti Kulkarni (Clinical Nutritionist)

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